Who listened the bhagawat Geeta from shree krushna on battle ground:
महाभारत में युद्ध भूमि पर कौरवों की सेना और पांडवों की सेना सभी लोग थे। अर्जुन ने कौरवों की सेवा में अपने भाई मामा अपने सभी रिश्तेदारों को देखने के बाद अर्जुन को ऐसा लगा मैं जिससे युद्ध कर रहा हूं वह तो मेरे अपने हैं अगर मैं अपनों को ही मार दूं तो इतिहास में मेरा नाम कैसे होगा यह तो पाप है ऐसा सोच रहे थे। तब श्री कृष्ण जी ने कहा हे अर्जुन तुम जीने देख रहे हो वह सिर्फ मिट्टी से बने शरीर है करने के बाद आत्मा इस शरीर को छोड़कर दूसरी शरीर को धारण करती है और जो धर्म के साथ है वह कोई भी हो अपना भाई हो या पिता हो उनका विरोध करना ही चाहिए। इतना सब कुछ बात कर भी अर्जुन को बहुत दुख हो रहा था इसके बाद श्री कृष्ण जी ने अपना विराट रूप दिखाया और बताया वह कौरव भी मैं ही हूं और पांच पांडव भी मैं ही हूं इस संसार में जो कुछ भी है वह मैं ही हूं और सब मुझ में ही विलीन हो जाते हैं तुम जिस युद्ध कर रहे हो वह भी मैं ही हूं और तुम भी मैं ही हूं इसलिए ब्रह्मा को जानो ऐसा कह कर भगवान श्री कृष्ण जी ने अर्जुन को भगवत गीता सुनाई। मगर सबको यह बात पता है की अर्जुन ने ही भागवत गीता सुनी है क्योंकि तब श्री कृष्ण जी ने समय को रोक रखा था मगर सब कुछ रुकने के बाद जब भगवान श्री कृष्ण जी ने भगवत गीता सुनने शुरू करें तब सिर्फ अर्जुन ने ही भागवत गीता नहीं सुनी बल्कि और तीन लोगों ने भी भागवत गीता सुनी। और वह तीन लोग कौन हैं यह आज हम इस ब्लॉग में जानेंगे।
१) अर्जुन:
Arjun and shree krushna |
अर्जुन पांच पांडवों में से एक था। उसी को श्री कृष्ण जी भागवत गीता बता रहे थे। उनके गुरु द्रोणाचार्य थे द्रोणाचार्य जी ने ही अर्जुन को धनुर्विद्या सिखाई मगर गुरु द्रोण कौरवों के साथ खड़े रहे और युद्ध भूमि में अर्जुन को कौरवों की सेना देखने के बाद बहुत दुख हुआ और वह अस्वस्थ हो गए और उन्होंने अपने हाथ से दोनों से बंद छोड़ दिया और युद्ध न करने का निर्णय लिया मगर श्री कृष्ण जी ने उनको बताया उठो अर्जुन धर्म और अधर्म के बीच जब युद्ध होता है तब गुरु पिता भाई बहन ऐसा कुछ नहीं देखा जाता जो अधर्म के साथ है इसका विरोध करना निश्चित है। ऐसा कहने के बाद अर्जुन को श्री कृष्ण जी ने विराट रूप दिखाया।
२) हनुमान जी:
हनुमान जी तो रामायण में थे मगर महाभारत में कहां से आ गए लिखा भी नहीं कहां पर थे यह किसी को भी नहीं पता है। एक बार रामेश्वरम तीर्थ के पास अर्जुन और हनुमान जी एक दूसरे को मिलते हैं। तब दोनों के बीच विवाद हुआ जब अर्जुन के एक दावे के बाद हनुमान जी ने अर्जुन को एक पुल बनाने को कहा जो उनका वजन उठा सके तभी अर्जुन ने एक पुल बनाया मगर जब हनुमान जी ने उनका एक पर रखा तभी वह पुल टूट गया। तो श्री कृष्ण जी ने कहा कि श्री राम जी का नाम लेकर पुल बनाने को कहा तब उन्होंने पुल बनाया तो हनुमान जी ने लाख कोशिश की मगर पुल नहीं टूटा तभी हनुमान जी ने श्री कृष्ण जी को दिखा तो उनको उनमें श्री राम जी नजर आए।
तब श्री कृष्ण जी ने हनुमान से कहा की महाभारत की युद्ध के समय तुम अर्जुन के रथ के ऊपर विराजमान हो जाओ।अर्जुन का जो रथ था उसे रथ की रक्षा करने के लिए उसे रथ के ऊपर हनुमान जी विराजमान थे आपने देखा होगा उसे रथ के ऊपर हनुमान जी के चिन्ह का एक झंडा था वह हनुमान जी थे। तो जब श्री कृष्ण जी अर्जुन को भागवत गीता सुना रहे थे तब हनुमान जी भी भगवत गीता सुन रहे थे।
बर्बरीक:
महाभारत काल के सबसे महान योद्धा और सबसे ताकतवर जो महाभारत सिर्फ कुछ पल में ही समाप्त कर सकते थे। मगर वैसा उन्होंने क्यों नहीं किया? इसका जवाब है,
बर्बरीक के पास तीन बाण तीन बानो से वह पूरी सेना को मार सकता है।जब श्री कृष्ण जी को पता चला कि बर्बरीक कुछ पल में ही युद्ध समाप्त कर सकता है तो श्री कृष्ण जी एक ब्राह्मण का भेस डालकर बर्बरीक के पास गए और उनसे पूछा कि महाभारत युद्ध मैं तुम किसकी तरफ से लड़ोगे तो बर्बरीक जी ने कहा कि उनकी मां ने कहा है कि जिनकी सेना कमजोर है उनकी तरफ से लड़ो ऐसा कहां। तब बर्बरीक ने कहा कि मैं पांडवों की तरफ से लडूंगा।
तब श्री कृष्ण जी ने पूछा अगर तुम पांडवों के साथ दोगे। तब अगर कौरवों की सेना कमजोर हो गई तब तुम क्या करोगे? तब बर्बरीक ने कहा कि जब कौरवों की सेना कमजोर हो जाएगी तब मैं कौरवों का साथ दूंगा। यह सुनने के बाद श्री कृष्ण जी बर्बरीक को युद्ध में शामिल न हो ऐसी सोचा। तभी श्री कृष्ण जी ने बर्बरीक से अपना बलिदान मांगा तब बर्बरीक ने श्री कृष्ण जी की आज्ञा मानी और अपना सर धड़ से अलग कर दिया। मगर बर्बरीक को महाभारत का युद्ध देखने की इच्छा थी। श्री कृष्ण जी ने उनका सिर एक चट्टान पर रख दिया जहां से पूरा महाभारत का युद्ध दिख सकता है। तू इस तरह बर्बरीक ने पूरा महाभारत का युद्ध देखा। और इसके साथ बर्बरीक ने भी श्री कृष्ण जी से भगवत गीता सुनी। और तभी से बर्बरीक की खाटू श्याम जी के नाम से जानने लगे। आज भी खाटू श्याम जी का मंदिर वहीं स्थित है।
Khatu shyam |
संजय:
Sanjay and dhritarashtra |
संजय ने धृतराष्ट्र को महाभारत का युद्ध कैसे हो रहा है वह बता रहे थे संजय को दिव्या दृष्टि थी उन्हें आगे क्या होने वाला है वह भी ज्ञात था। धृतराष्ट्र को हस्तिनापुर में बैठे-बैठे कुरुक्षेत्र में हो रहे महाभारत युद्ध की पूरी जानकारी दे रहे थे यह युद्ध 18 दिन चला और संजय भी धृतराष्ट्र के पास 18 दिन तक इस युद्ध की जानकारी दे रहे थे। तो जब श्री कृष्ण जी भागवत गीता सुना रहे थे और विराट रूप दिखा रहे थे तब संजय ने भी वह विराट रूप देखा और भागवत गीता भी सुनी।
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