Unknown kings and commander of Bharat who dedicated for Bharat १)सूबेदार तुकोजीराव होलकर प्रथम: टीपू सुल्तान को युद्ध में परास्त करने वाले इंदौर के शासक सूबेदार तुकोजीराव होलकर प्रथम इतिहास के पन्नों से गुम शासन अविधि ( 1795-1797) तुकोजीराव होलकर हमेशा अपने काका सूबेदार मल्हार राव होलकर के साथ युद्ध क्षेत्रों में सहायक रहे थे मल्हार राव होलकर की मृत्यु के पश्चात मातेश्वरी अहिल्याबाई ने उनको अपना सेनापति बनाया था वह मातोश्री अहिल्याबाई होल्कर व पेशवा के हमेशा विश्वस्त स्वामी भक्त बने रहे इनका जन्म सन् 1723 में हुआ था मातोश्री के शासनकाल में उन्होंने कई युद्धों में भाग लिया था सन 1794 में महादजी सिंधिया की मृत्यु के बाद सूबेदार तुकोजीराव होलकर ही मराठों के प्रमुख थे मातोश्री के देवलोक गमन के पश्चात इंदौर राज्य प्रभार के सारे अधिकार सूबेदार तुकोजीराव को हस्तगत हुए उनके कार्यकाल में राज्य की दशा पूर्ण संतोषजनक रही सुभेदार तुकोजी राव होलकर एक कुशल सेनापति और वीर योद्धा थे व साधारण रहन-सहन वाले निर्भय मानी व्यक्ति थे पेशवा द्वारा उनको 12 भाई वाली सलाहकार समिति में भी स्थान देकर मान दि
The Legend ekalavya (एकलव्य) Ekalavya(एकलव्य) एकलव्य महाभारत का हिस्सा थे वह निषाद राजा हिरण्यधनु नामक राजा के पुत्र थे। एकलव्य का मूल नाम अभिद्य्युम्न था। एकलव्य को उनकी सुबह सखी तीरंदाजी और निरंतर समर्पण के साथ गुरुत्व के लिए जाना जाता है अपने पिता की मृत्यु के बाद वह श्रृंगबेर राज्य के शासक बने। अमात्य परिषद की सलाह से उन्होंने न केवल अपने राज्य का संचालन किया बल्कि निषादों की एक मजबूत सी बनाकर अपने राज्य की सीमाओं का भी विस्तार किया। एकलव्य हिरण्य धनु राजा के दत्तक पुत्र थे किसने हिरण्य धनु को तब पाया जब उसे श्री कृष्ण के चाचा और चाची ने एक शिशु के रूप में छोड़ दिया था एकलव्य के दस्तक पिता हिरण्य धनु उसे कल के सबसे शक्तिशाली राजा जरासंध के सेनापति थे और एकलव्य स्वयं एक सेनापति के रूप में राजा जरासंध की सेवा में कार्यरत थे एक युवा के रूप में एकलव्य ने द्रोण को करो और पांडवों को तीरंदाजी सिखते हुए देखा। और उसके मन में खुद सीखने की इच्छा पैदा हो गई उन्होंने ड्रोन के पास जाकर आदरपूर्वक धनौर विद्या के विद्यार्थी के रूप में भर्ती होने का अनुरोध किया उच्च कुल मैं जन्मे क्षत्रिय गु